कविता केवल शब्दों का खेल नहीं है, बल्कि यह एक जीवन दर्शन स्वामी चिदानन्द सरस्वती
राष्ट्रीय कवि संगम श्री जगदीश मित्तल जी के मार्गदर्शन व नेतृत्व में आयोजित
ऋषिकेश/ दिल्ली, 16 नवम्बर । श्री जगदीश मित्तल परमार्थी अमृत महोत्सव में परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का पावन सान्निध्य सभी को प्राप्त हुआ। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री इंद्रेश कुमार जी की गरिमामय उपस्थिति में 18वीं दस्तक युवा पीढ़ी – देशभर के 200 से अधिक दस्तक युवा कवियों ने सहभाग किया। यह आयोजन अध्यक्ष, राष्ट्रीय कवि संगम श्री जगदीश मित्तल जी के मार्गदर्शन व नेतृत्व में आयोजित किया गया।
वास्तव में यह एक ऐतिहासिक क्षण है, जिसमें 18वीं दस्तक युवा पीढ़ी ने सहभाग किया। इस अद्वितीय अवसर पर, देशभर के 200 से अधिक युवा कवियों का संगम देखने को मिला, जो अपने शिल्प और शैली से कवि संगम में नये आयाम जोड़ने आए है। इस विशिष्ट आयोजन का उद्देश्य युवा कवियों को प्रोत्साहन देना और उनकी रचनात्मकता को मंच प्रदान करना था।
इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि यह महोत्सव राष्ट्र जागरण के पवित्र उद्देश्य को समर्पित है, जहाँ कवियों की रचनाओं के माध्यम से समाज में जागरूकता और प्रेरणा का संचार होता है। स्वामी जी ने कहा, ‘राष्ट्र जागरण धर्म हमारा है‘ और यह संगम इसी पवित्र उद्देश्य को समर्पित है।
स्वामी जी ने युवा कवियों को समाज, राष्ट्र, पर्यावरण और मानवता को समर्पित कवितायें करने हेतु प्रेरित किया। कवियों की रचनाओं में समाज की वास्तविकता के चित्रण के साथ आशा और प्रेरणा का संदेश भी होना चाहिये। कवितायें हमें अपनी जिम्मेदारियों का एहसास भी कराती है। कविता समाज के लिए एक आईना है, जो उसकी अच्छाइयों और बुराइयों को समान रूप से दर्शाती है। उन्होंने कहा, कविता केवल शब्दों का खेल नहीं है, बल्कि यह एक जीवन दर्शन है, जो हमें अपनी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ती है। ‘यह संगम न केवल युवा पीढ़ी को प्रोत्साहित करता है, बल्कि उन्हें समाज और राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का बोध भी कराता है।’ उन्होंने युवा कवियों को संबोधित करते हुए कहा कि कविता केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति नहीं है, बल्कि यह समाज को दिशा देने का एक शक्तिशाली माध्यम भी है।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री इंद्रेश कुमार जी ने कहा कि कवितायें अपनी भावनाओं को शब्दों में पिरोने का एक श्रेष्ठ माध्यम है। कविताओं का पाठ करना एक अद्वितीय अनुभव है।
उन्होंने कहा कि यह आयोजन साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। यह महोत्सव युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का प्रयास है। हमें गर्व है कि हम इस महान उद्देश्य में अपना योगदान दे पा रहे हैं। उन्होंने सभी उपस्थित लोगों को धन्यवाद दिया और युवाओं को अपने रचनात्मकता को विकसित करने के लिए प्रेरित किया।
अध्यक्ष, राष्ट्रीय कवि संगम श्री जगदीश मित्तल जी के मार्गदर्शन व नेतृत्व में इस आयोजन का सफलतापूर्वक संचालन हुआ। श्री मित्तल जी ने कहा, ‘राष्ट्रीय कवि संगम का उद्देश्य साहित्यिक संस्कृति को जीवित रखना और युवा पीढ़ी को इसमें भागीदार बनाना है। यह महोत्सव उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।’ उन्होंने बताया कि इस महोत्सव में भाग लेने वाले सभी कवियों को एक मंच प्रदान किया जा रहा है ताकि वे अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित कर सकें।
राष्ट्रीय कवि संगम का यह अमृत महोत्सव एक ऐसी पहल है, जिसने समाज के विभिन्न वर्गों को एक साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस महोत्सव ने न केवल युवा कवियों को एक मंच प्रदान किया है, बल्कि समाज में साहित्यिक जागरूकता भी बढ़ाई है।
इस अद्भुत कार्यक्रम के समापन अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट किया।