आस्थाउत्तराखंड

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कुम्भ से पहले प्रयागराज भ्रमण के दौरान नवनिर्मित परमार्थ त्रिवेणी पुष्प का किया अवलोकन

परमार्थ त्रिवेणी पुष्प में किया विशाल भंडारा का आयोजन

ऋषिकेश/प्रयागराज, 5 दिसम्बर : परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष एवं विश्वविख्यात आध्यात्मिक गुरू स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी कुंभ मेले से पूर्व प्रयागराज भ्रमण पर है। इस अवसर पर स्वामी जी ने नवनिर्मित परमार्थ त्रिवेणी पुष्प का अवलोकन किया, जो श्रद्धालुओं, राष्ट्रप्रेमियों और पर्यावरण प्रेमियों के लिए एक अनोखा तीर्थ स्थान बनकर उभर रहा है। इस पवित्र अवसर पर एक विशाल भंडारा का आयोजन भी किया गया, जिसमें सैकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया।

परमार्थ त्रिवेणी पुष्प, प्रयागराज के त्रिवेणी संगम के समीप स्थित एक नवाचारात्मक संरचना है, जिसे स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी की प्रेरणा, मार्गदर्शन व नेतृत्व में निर्मित किया जा रहा है। यह स्थल आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय मूल्यों का प्रतीक है। त्रिवेणी पुष्प की संरचना को इस प्रकार से डिजाइन किया गया है कि यह भारतीय संस्कृति, प्रकृति संरक्षण, राष्ट्र और गंगा की महिमा के साक्षात दर्शन हो सके।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने त्रिवेणी पुष्प के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, ’त्रिवेणी पुष्प केवल एक भौतिक संरचना नहीं है, यह भारतीय सभ्यता और गंगा-जमुना-सरस्वती की त्रिवेणी के दिव्य संदेश को आगे बढ़ाने का प्रयास है। यह स्थान न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक ध्यान केंद्र है, बल्कि पर्यावरणीय जागरूकता का प्रतीक भी है। यहां से देवभक्ति व देशभक्ति का संदेश साथ साथ प्रसारित किया जायेगा।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कुंभ मेले की तैयारियों की समीक्षा करते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी, माननीय मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश श्री योगी आदित्यनाथ जी, प्रशासन, स्थानीय संगठनों और सेवाभावी संस्थाओं के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि कुंभ मेला केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह मानवता, एकता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने वाला एक वैश्विक मंच है।

स्वामी जी ने कहा, कुंभ में आने वाले हर श्रद्धालु को स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान देना होगा। यह न केवल हमारी संस्कृति का हिस्सा है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा भी है।

स्वामी जी ने कहा, गंगा केवल एक नदी नहीं है, यह हमारी संस्कृति, सभ्यता और अस्तित्व का आधार है। इसका संरक्षण हमारा परम धर्म है। उन्होंने उपस्थित लोगों को गंगा के जल को प्रदूषित न करने और उसके आसपास स्वच्छता बनाए रखने का संकल्प कराया।

इस अवसर पर श्री अरूण सारस्वत जी, श्री निवृति नाथ जी, पावनी जी, आचार्य दीपक शर्मा, रामकिशेर और परमार्थ निकेतन परिवार के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!