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छठ पूजा के व्रत से संतान का जीवन होता है सुखी

धार्मिक ही नहीं पूर्ण रूप से आध्यात्मिक पर्व है छठ

 

ऋषिकेश, 7 नवंबर : आज छठ पूजा का अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। पंचांग के अनुसार इस बार छठ महापर्व की शुरुआत 5 नवंबर से हुई और इसका समापन 8 नवंबर को होगा।

छठ पूजा पर्व को बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है।

पंचांग के अनुसार इस महापर्व की शुरुआत कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि से होती है और चार दिनों तक हर्सोल्लास के साथ मनाया जाता है इस व्रत का पारण अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्ध्य देने के बाद किया जाता है।

छठ पूजा का पर्व छठी मैया और सूर्य देव को समर्पित है, इस महापर्व को चार दिनों तक मनाया जाता है कार्तिक माह में मनाया जाने वाले इस त्यौहार के पहले दिन नहाए खाए की परंपरा को निभाया जाता है इसके अगले दिन खरना पूजा होती है। इसके बाद निर्जला व्रत की शुरुआत होती है और डूबते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है और अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्ध्य देने का विधान है। इस दौरान जीवन में सुख शांति की प्राप्ति के लिए कामना की जाती है।

धार्मिक मान्यता है की व्रत को सच्चे मन से करने से सुख समृद्धि में वृद्धि होती है साथ ही परिवार के सदस्यों को छठी मैया और सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।

इस पर्व में पहले दिन नहाय-खाय होता है, दूसरे दिन खरना पूजा होती है, तीसरे दिन यानी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को डूबते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है। अंतिम दिन यानी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर उगते सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है। इसके बाद व्रत का पारण करने के बाद लोगों में प्रसाद का वितरण किया जाता है।

धार्मिक मान्यता है कि छठ पूजा करने से सुख समृद्ध में वृद्धि होती है साथ ही संतान को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है।

छठ पूजा में पीतल का पात्र, फल, सुपारी, चावल, सिंदूर, फुल, थाली,पान, गाय का घी, शहद, धूप, शकरकंदी, गुड़, सूप, पानी वाला नारियल,अरवा का चावल, गंगाजल, बांस की दो बड़ी टोकरिया, ठेकुआ का भोग, गेहूं, चावल का आटा,पांच पत्ती लगे गन्ने समेत आदि सामान से पूजा अर्चना की जाती है

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