ऋषिकेश, 25 नवम्बर : एम्स ऋषिकेश में रोबोटिक विधि से पहली बैरिएट्रिक सर्जरी हुई है। यह सर्जरी संस्थान के सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के डॉक्टरों द्वारा की गयी है।
जानकारी देते हुए सर्जरी करने वाले गैस्ट्रोएंट्रोलाॅजी विभाग के सर्जन डॉ. लोकेश अरोड़ा ने बताया कि 51 वर्षीय महिला जिसका वजन 110 किलोग्राम था, वह मोटापे से संबन्धित बीमारियों के साथ ही हाई ब्लड प्रैशर, जोड़ों का दर्द और थाइराईड की समस्या से जूझ रही थी। रोगी पहले जनरल मेडिसिन की ओपीडी में आयी थी। जहां से विभिन्न जांचों के आधार पर इस बीमारी का पता लगा और फिर सर्जिकल गैस्ट्रोएंट्रोलाॅजी विभाग द्वारा रोगी का रोबोटिक रॉक्स-एन-वाई गैस्ट्रिक बाईपास (रोबोटिक बैरिएट्रिक ऑपरेशन) करने का निर्णय लिया गया।
डाॅ. लोकेश ने बताया कि यह जटिल सर्जरी लगभग 5 घंटे तक चली। इस सर्जरी के बाद रोगी का वजन अब 10 किलो कम हो गया। रोगी को अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी है। उन्होंने बताया कि कि बैरिएट्रिक ऑपरेशन शरीर का वजन काम करने के लिए किया जाने वाला एक जटिल ऑपरेशन है। यह उन्नत तकनीक की सर्जरी होती है जिसमें रिकवरी तेजी से होती है और शरीर में निशान भी नजर नहीं आते हैं। सर्जरी की यह प्रक्रिया उन व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो अपने शरीर का वजन कम करने के लिए विभिन्न प्रकार के उपाय करते हैं लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाती है। मेडिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. रोहित गुप्ता ने मोटापे की वजह से लीवर खराब होने की शिकायत में बरिएट्रिक सर्जरी को कारगर बताया। कहा कि मोटापे की वजह से लीवर में चर्बी जमा हो जाती है। सर्जरी से चर्बी को जमा होने से रोका जा सकता है।
ऑपरेशन करने वाली टीम में डाॅ. लोकेश अरोड़ा के साथ डॉ. नीरज यादव, डॉ. अजहररुद्दीन, डॉ. मृदुल धर, डॉ. उन्नीकृष्णन, डॉ. दीपक एवं मोहित, सुरेश, दीप, रितेश, योगेश, आकाश शामिल रहे।
संस्थान की निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह और चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर सत्या श्री ने इस जटिल ऑपरेशन को रोबोटिक विधि से सफलतापूर्वक संपन्न करने पर सर्जिकल टीम को बधाई दी है। एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के डॉ. कल्याणी श्रीधरन सहित गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग की डॉ. सुनीता सुमन ने भी इसे बड़ी उपलब्धि बताया।