ऋषिकेश, 7 नवंबर : तीर्थ नगरी मे पूर्णानंद इंटर कॉलेज, मुनि की रेती के पास खेल मैदान में प्रख्यात कथा वाचक श्री मुरारी बापू जी के मुखारविंद से राम कथा का शुभारंभ हुआ। श्री मुरारी बापू जी का यह 946वीं कथा है।
तीर्थ नगरी के मुनी की रेती स्थित पूर्णानंद इंटर कॉलेज खेल मैदान में मानस ब्रह्म विचार राम कथा का आगाज हुआ, कथा के प्रथम दिन उत्तराखंड सरकार एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से कैबिनेट मंत्री डॉ. प्रेमचंद अग्रवाल ने बापू जी का स्वागत किया, इस शुभ अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज भी उपस्थित रहे, कैबिनेट मंत्री ने कहा कि हाल ही में अयोध्या राम मंदिर बनने के बाद हम सभी ने पहली दिवाली मनाई है यह हमारा सौभाग्य है। इसी के साथ उन्होंने छठ पर्व पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दी।
स्वामी चिदानंद महाराज ने कहा कि बापू जी का जीवन तप भरा है, बापू 80 वर्ष की आयु में भी लगातार अविरल पूरे विश्व में भक्ति की अलख जाला जन जागरण कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि यह बापू का और राम नाम का ही प्रताप है कि यूनाइटेड नेशन में भी श्री राम कथा का आयोजन हुआ। कथा सुन रहे भक्तों का सौभाग्य है की गंगा किनारे हो रही कथा में छठ पर्व पर गंगा सामान गुरु गोद में बैठकर कथा श्रवण का पुण्य मिलेगा।
राम कथा के प्रथम दिन मोरारी बापू ने उत्तराखंड सरकार, मुख्य अतिथियों, शासन प्रशासन और सभी भक्तों का जिन्होंने प्रेम यज्ञ आहुति दी एवं कथा श्रवण करने आए सभी श्रद्धालुओं को साधुवाद दिया। बापूजी ने कहा कि भारत देश धन्य है कि यहां हमेशा से बेटियों का अपने पिता पर विशेष अधिकार होता है उन्होंने बताया कि जो कथा चित्रकूट में होनी थी वह कथा अब ऋषिकेश में गंगा तट पर हो रही है। कथा के केंद्र मानस ब्रह्म विचार के बारे में बापू ने कहा कि जहां आज हर जगह अंधकार फैला है उसके अंधकार को दूर करने में ब्रह्म विचार एक औषधि है ।
बापू ने सात सोपान रूपी सात विचारों बालकांड से विवेक विचार, अरण्यकाण्ड से वैराग्य विचार, सुंदरकांड से वियोग विचार, लंका कांड से विलास विचार आदि के बारे में चर्चा की, बापू ने सात रसों में वैराग्य रस की महिमा का वर्णन करते हुए राम कथा के प्रथम सोपान में प्रवेश किया।
राम कथा में देश-विदेश के हजारों श्रद्धालु कथा श्रवण के लिए तीर्थ नगरी पहुंच रहे हैं कथा का शुभारंभ परंपरागत हनुमान चालीसा एवं स्वास्ति वाचन से हुआ योग नगरी में हो रही कथा में बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने भी कथा का रसपान किया।