मुख्य मंत्री धामी के आग्रह पर प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने उत्तराखंड राज्य को प्रयागराज में 100×400 वर्ग फिट भूमि निःशुल्क आवंटित की
प्रयागराज मे उत्तराखंड राज्य का पंडाल सजेगा, पंडाल में श्रद्धालूयों के लिए सभी आवश्यक सुविधाओं का होगा प्रबंध
देहरादून, 21 दिसंबर : प्रयागराज महाकुंभ-2025 की तैयारियों के जोर पकड़ने के साथ ही उत्तराखंड में भी महाकुम्भ मे पहुंचने वाले श्रद्धालूयों को सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश मे कार्य शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने महाकुंभ मेले में उत्तराखंड के पंडाल के लिए अलग से भूमि आवंटन का अनुरोध उत्तर प्रदेश सरकार से किया था। मुख्य मंत्री धामी के आग्रह पर प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने उत्तराखंड राज्य को सेक्टर-7 कैलाशपुरी मार्ग, पूर्वी पटरी प्रयागराज में 100×400 वर्ग फिट भूमि निःशुल्क आवंटित कर दी है। इस भूमि पर उत्तराखंड राज्य का पंडाल सजेगा, जहां मेले मे पहुँचने वाले श्रद्धालूयों को उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति की झलक भी देखने को मिलेगी। प्रदेश सरकार इस पंडाल में श्रद्धालूयों के लिए सभी आवश्यक सुविधाओं का प्रबंध करेगी।
मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रयागराज महाकुंभ के मद्देनजर हाल ही में अधिकारियों के साथ बैठक भी की थी। मुख्यमंत्री ने अधिकारीयों को निर्देश दिए हैं कि उत्तराखंड से प्रयागराज महाकुंभ में प्रतिभाग करने वाले साधु संतों और अन्य सभी आम लोगों की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाए। कुम्भ मेला मे पहुंचने वालों की सुविधा के लिए परिवहन की व्यवस्था भी सरकार करने जा रही है। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से उत्तर प्रदेश की कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्य और राज्य मंत्री बृजेश सिंह ने देहरादून पहुंचकर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को महाकुंभ मेले में विशेष रूप से आमंत्रित किया है।
“मुख्य मंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखंड मां गंगा और यमुना का उद्गम क्षेत्र है। उत्तर प्रदेश मे प्रयागराज इन दोनों पवित्र नदियों का संगम स्थल है। हमारे लिए यह अत्यंत गौरव की बात है कि आज यहां महाकुंभ मेला आयोजित हो रहा है। उत्तराखंड पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ प्रयागराज महाकुंभ-2025 में भागीदारी करेगा, साथ ही इस महा आयोजन को सफल बनाने में उत्तर प्रदेश सरकार का कंधा से कंधा मिलाकर सहयोग करेगा। स्नान आदि के लिए अतिरिक्त जल की जरूरत होगी तो उत्तराखंड से अतिरिक्त जल छोड़ा जाएगा। इसके अलावा परिवहन आदि व्यवस्थाओं में भी पूर्ण सहयोग किया जाएगा।”