ऋषिकेश, 22 नवंबर : एम्स, ऋषिकेश में आयोजित विश्व एंटीमाइक्रोबियल जागरूकता सप्ताह के अंतर्गत पांचवे दिन फार्माकोलॉजी विभाग की प्रोफेसर डॉ. मनीषा बिष्ट और डॉ. गौरव चिकारा की अध्यक्षता एवं आयोजन सचिव जनरल मेडिसिन विभाग के एडिसनल प्रोफेसर डॉ. प्रसन्न कुमार पंडा की देख – रेख मे शुक्रवार को विभिन्न वर्ग व श्रेणीयों की क्विज और पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की गई । जिसमें संस्थान के नर्सिंग स्टाफ, सीनियर रेजिडेंट्स (SR), जूनियर रेजिडेंट्स (JR), और विद्यार्थियों ने भाग लिया । जबकि अन्य स्वास्थ्यकर्मियों जैसे अस्पताल परिचारक, हाउसकीपिंग स्टाफ और सुरक्षा गार्डों के लिए भी अलग से क्विज प्रतियोगिता रखी गई। बताया गया कि इस पहल का उद्देश्य सभी स्वास्थ्यकर्मियों को एंटीमाइक्रोबियल स्टूर्डशिप (Antimicrobial Stewardship) प्रथाओं में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए प्रेरित करना है।
विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं में लगभग 250 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। जिनमें से प्रत्येक श्रेणी से शीर्ष 10 प्रतिभागियों का चयन साक्षात्कार के लिए किया गया। इसके बाद विशेषज्ञों ने फेस-टू-फेस साक्षात्कार के माध्यम से विभिन्न स्वास्थ्यकर्मियों के बीच से अव्वल प्रतिभागियों का चयन किया।
“IAS चैंपियन वॉर्ड” की पहचान कार्यक्रम के अंतर्गत अस्पताल के विभिन्न वॉर्ड्स के बीच आईएएस चैंपियन वॉर्ड के चयन करने के लिए शीर्ष 6 टीमों के बीच “आईस ब्रेकिंग सेशन” आयोजित किया गया।
कार्यक्रम के आयोजन सचिव डॉ. प्रसन्न कुमार पंडा ने बताया कि एंटीमाइक्रोबियल प्रथाओं को प्रभावी बनाने के लिए “पांच ‘R'” को ध्यान में रखा गया है,जिनमें निम्नलिखित सम्मिलित हैं।
1.Responsibility (जिम्मेदारी)
2.Reduction (कम करना)
3.Refinement (सुधार)
4.Replacement (विकल्प)
5.Review (समीक्षा)
आईएएस प्रथाओं पर कार्यशाला के पांचवें दिन माध्यन्ह सत्र में नए शामिल हुए फैकल्टी सदस्यों, SRs, JRs और नर्सिंग स्टाफ के लिए “इंटीग्रेटेड एंटीमाइक्रोबियल स्टूर्डशिप (IAS) प्रथाओं” पर एक बुनियादी कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला में प्रतिभागियों को उनके कार्यक्षेत्र में एंटीमाइक्रोबियल प्रथाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने और एंटीमाइक्रोबियल्स के विवेकपूर्ण उपयोग की शपथ दिलाई गई।
आज के कार्यक्रम माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉ. अंबर प्रसाद, डॉ. सुकृति यादव और डॉ. सोजंय के समन्वय में आयोजित हुई। कार्यशाला के दौरान जिन प्रमुख विषयों पर चर्चा हुई उनमें 1- प्रमाण-आधारित मार्गदर्शकों के अनुसार एंटीमाइक्रोबियल्स का उपयुक्त निर्धारण और उपयोग। 2- स्वास्थ्यकर्मियों और मरीजों को एंटीमाइक्रोबियल्स के सही उपयोग के प्रति जागरूक बनाना। 3-एएमएस (AMS) गतिविधियों की निगरानी और रिपोर्टिंग। शामिल रहे।