ऋषिकेश, 9 नवंबर : श्री राम कथा के तीसरे दिन श्रोताओं को संत श्री मुरारी बापू जी ने आज जनकपुरी में पुष्प वाटिका से संबंधित कथा का श्रवण कराया।
आज के समय में विश्व में लोक मंगल हेतु सनातनी रुपी गौ आंखों की आवश्यकता है। सनातनी आंखें दूरदृष्टी के साथ आरपार देखनेवाली स्पष्ट आंखें होती है।
राम कथा यज्ञ की अलख जला रहे विश्व प्रिय राम कथा वाचक मोरारी बापू ने कथा के तीसरे दिन कहा कि राम- कृष्ण हमारी सनातनी आंखें हैं। उन्होंने सभी से आग्रह करते हुए कहा कि रामायण और गीता दोनों सनातन की आंखें हैं। बापू ने दादा गुरु त्रिभुवन दादा और छठे कैलाश पीठाधीश्वर विष्णु देवानंद गिरी रुपी श्रुति एवं स्मृति आंखों के प्रकाश से श्रद्धालुओं को सनातन आंखों का दर्शन कराया। उन्होंने कहा सनातन धर्म के अनुसरण करने वालों को अपने घरों में रामायण और गीता जरुर रखने के साथ अवलोकन करना चाहिए । सनातनी आंखों की चर्चा करते हुए बापू ने कहा कि सनातन आंखें वो होती है जो सजल होती है जिससे सत्य, प्रेम,करुणा का अविरल प्रकाश प्रकाशित होता रहे।
बापू ने चरण पादुका की महिमा बताते हुए कहा कि चरण पादुका भी सनातन आंखें हैं। मानस ब्रह्म विचार राम कथा में मोरारी बापू ने कुंभ की उपयोगिता की चर्चा करते हुए बताया कि कुंभ के आयोजन अवसरों पर लोक कल्याण के लिए ब्रम्ह विचार के अंतर्गत धर्म निरुपण, धर्म विधि,तत्व विभाग, भक्ति, ज्ञान और वैराग पर धर्माचार्यो , विद्वानों,साधू-संतो आदि द्वारा चर्चा की जाती थी। कथा में उन्होंने कल के हनुमान के प्रसंग जिसमें हनुमान द्वारा सूर्य को मुख में लेने वाली कथा में छिपे रहस्य को उजागर करते हुए कहा कि हमें सूर्य रुपी गुरु की बातों को निगल कर पाचन कर लेना चाहिए।
बापू ने कथा में दृष्टांत देते हुए कहा कि जब राम जनकपुर में गुरु वंदना के लिए पुष्प लेने पुष्प वाटिका पहुंचे तो माली ने उनसे पूछा आपके यहां आने का प्रयोजन क्या है तो भगवान राम ने कहा कि हम यहां पुष्प के लिए आए हैं।माली उत्तर सुनकर मुस्कुराया और कहा जो स्वयं में पुष्प वाटिका हो उसे इस उपवन में आने की क्या जरूरत।बापू ने कथा में श्रोताओं से चर्चा करते हुए कहा राम दर्शन में राम की तीन शारिरिक अंगों को विशाल बताया है। प्रथम उनके राजीव लोचन दूसरा विशाल ह्रदय और तीसरा उनके विराट बाहु जो हर जीव को अपने ह्रदय से स्पर्श करते हैं जो सनातनी आंखों के दर्शन कराती है।