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तृतीय कुम्भ कॉन्क्लेव 2024/25 – दिव्य, भव्य, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संगम

कुम्भ मेला भारतीय सभ्यता की अनंत यात्रा का एक महत्वपूर्ण अध्याय, स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश/प्रयागराज, 25 नवम्बर। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को तृतीय कुम्भ कॉन्क्लेव 2024-25 में विशेष रूप से आमंत्रित किया। इस कॉन्क्लेव का उद्देश्य भारतीय संस्कृति, परंपराओं और आध्यात्मिकता के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करना है। इस तीन दिवसीय कॉन्क्लेव में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े प्रतिष्ठित वक्ताओं और विद्वानों का समागम हो रहा है।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, माननीय राज्यपाल केरल, श्री आरिफ मोहम्मद खान, उप मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश, श्री राजेन्द्र शुक्ल जी, प्रोफेसर मनोज दीक्षित जी, श्री अशोक मेहता जी आदि अन्य विभूतियों ने दीप प्रज्वलित कर तृतीय कुम्भ कॉन्क्लेव का शुभारम्भ किया।
प्रो.मनोज दीक्षित, कुलपति, एमजीएसयू और राजुवास, बीकानेर द्वारा सभी विशिष्ट अतिथियों का स्वागत अभिनन्दन किया गया।

उद्घाटन सत्र में माननीय पूर्व उपराष्ट्रपति पद्मविभूषण श्री एम. वेंकैया नायडू जी और माननीय मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश श्री मोहन यादव जी ने ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से कॉन्क्लेव को संबोधित किया। कुम्भ कॉन्क्लेव के प्रथम सत्र में कुम्भ की महत्ता और इसकी सांस्कृतिक धरोहर पर विभूतियों ने प्रकाश डाला।
मुख्य सत्र में प्रमुख वक्ता पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती जी, श्री आरिफ मोहम्मद खान और श्री राजेन्द्र शुक्ल जी ने कुम्भ मेले के अनुभव, आध्यात्मिक महत्ता और धार्मिक विकास के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार साझा किये।
अतिरिक्त महाधिवक्ता और पूर्व एएसजीआई, श्री अशोक मेहता जी ने कुम्भ मेले के ऐतिहासिक और कानूनी पहलुओं पर प्रकाश डाला।

माननीय राज्यपाल (केरल) श्री आरिफ मोहम्मद खान साहब ने कहा कि कुम्भ मेला भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है। यह एक पवित्र स्नान के साथ दिव्य अनुष्ठान भी है। यहां विभिन्न प्रकार की लोक कलाओं, सांस्कृतियों का महासंगम होता है; अलग-अलग मत और विचारधाराओं को मानने वालों के बीच संवाद व सहयोग का दिव्य समिश्रण है। कुम्भ मेला सामाजिक समरसता और समानता का भी प्रतीक है। जो मानवता और प्रेम का संदेश देता है और समाज में आपसी भाईचारे को बढ़ावा देता है।

परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती जी ने कहा कि कुम्भ मेला भारतीय सभ्यता की अनंत यात्रा का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। भारत अपनी पुरातनता और विविधता के लिए विख्यात है। भारत की धरती एक ऐसी धरती है जिसने अनगिनत सभ्यताओं का उदय और पतन देखा है। भारतीय सभ्यता की यात्रा अत्यंत प्राचीन और गौरवशाली है। यह यात्रा हमें हजारों वर्ष पीछे ले जाती है, जहाँ से संस्कृति, ज्ञान, और आध्यात्मिकता की एक अद्वितीय धारा प्रवाहित हो रही है

स्वामी जी ने कहा कि कुम्भ मेला भारतीय संस्कृति का एक अद्वितीय, अनुपम, दिव्य, भव्य और महान पर्व है। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन और कर्मयोगी मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश योगी आदित्यनाथ जी के कुशल नेतृत्व में कुम्भ मेला दिव्यता के साथ भव्य व नव्य होने वाला है।
तीन कॉन्क्लेव के आज के सत्र का शुभारम्भ और समापन राष्ट्रीय गान के साथ हुआ। कार्यक्रम का संचालन निदेशक, इंडिया थिंक काउंसिल, श्री सौरभ पांडे जी द्वारा किया गया। तृतीय कुम्भ कॉन्क्लेव का उद्देश्य इस महान मेले की महत्ता को पुनः स्थापित करना और समाज में इसकी प्रासंगिकता को उजागर करना है।
इस कॉन्क्लेव का मुख्य उद्देश्य कुम्भ मेले की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर पर विचार-विमर्श करना और उसे संरक्षण प्रदान करना है। इसके साथ ही, यह आयोजन विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक समुदायों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने का एक प्रमुख माध्यम है।
कॉन्क्लेव के माध्यम से विद्वानों और विशेषज्ञों ने समाज में सकारात्मक बदलाव लाने और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने हेतु अपने प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक विचार साझा किये, जिससे समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक संदेश प्रसारित हो ताकि नई पीढ़ी को अपने सांस्कृतिक मूल्यों और परंपराओं का संदेश प्राप्त हो सके।
स्वामी जी ने माननीय राज्यपाल केरल, श्री आरिफ मोहम्मद खान जी को रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट किया।

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