ईपीएफओ वाद पर एम्स दायर करेगा पुनर्विचार याचिका
मामले में मीडिया में अतार्किक तथ्य रखकर संस्थान की छवि धूमिल करने वालों की एम्स प्रशासन ने की भ्रत्सना

ऋषिकेश, 22 मार्च : एम्स ऋषिकेश बनाम क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त, देहरादून से संबंधित( संविदा कर्मियों के वर्ष अगस्त- 2015 से अप्रैल- 2021 तक के बकाया राशि 90,74,343 रुपए के भुगतान सबंधी) माननीय सीजीआईटी में लंबित वाद पर उक्त न्यायालय द्वारा 20 दिसंबर-2024 को पारित आदेश व वाद निस्तारण के विरूद्ध एम्स संस्थान जल्द ही न्यायालय से वाद की पुन: बहाली व संस्थान का पक्ष सुनने के बाद आदेश पारित करने की अपील करेगा।
गौरतलब है कि कतिपय व्यक्तियों द्वारा दुर्भावना से प्रेरित होकर आदरणीय न्यायालय में विचाराधीन संपूर्ण मसले को अलग तरह का रंग दिए जाने का भरसक प्रयत्न किया जा रहा है,जिसकी एम्स प्रशासन कड़े शब्दों में निंदा करता है।
विदित हो कि एम्स ऋषिकेश द्वारा माननीय सीजीआईटी (लखनऊ) मे ईपीएफ अधिनियम की प्रयोज्यता और उसके दावों के संबंध में ईपीएफ अधिकारी, देहरादून के दिनांक 05.10.2020 और 16.07.2021 को पारित आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी। आदरणीय न्यायालय ने दिनांक 18.02.2022 को एम्स संस्थान के पक्ष में स्थगन आदेश पारित किया गया था।
उक्त वाद में सुनवाई के लिए आदरणीय न्यायालय द्वारा 20 दिसंबर-2024 की तिथि निर्धारित की गई थी, जिस तारीख पर एम्स ऋषिकेश के विद्वान सरकारी अधिवक्ता व्यक्तिगत कारणों से न्यायालय में उपस्थित होकर एम्स,ऋषिकेश संस्थान का पक्ष नहीं रख सके एवम् आदरणीय न्यायालय द्वारा उक्त वाद आदरणीय अधिवक्ता की अनुपस्थिति में खारिज कर दिया गया।
तदोपरांत ईपीएफ अधिनियम 1952 की धारा-8एफ के तहत, ईपीएफओ कार्यालय , देहरादून द्वारा उक्त तिथि पर एम्स ऋषिकेश मुख्य खाते से 90,74,343/- रुपये वसूल किए जाने हेतु कार्यवाही की गई। एम्स प्रशासन द्वारा ईपीएफओ के सक्षम अधिकारी के समक्ष उक्त कदम का विरोध भी लिखित रूप से दर्ज किया गया।
न्यायहित में एम्स प्रशासन आदरणीय न्यायालय में अपील करने हेतु कानूनविदों से सलाह लेकर संस्थान के हितों की रक्षा हेतु आगे की कार्यवाही की दिशा में नियमानुसार अग्रसर हैं।