हृषिकेश आश्रम में श्री दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन
महापंचमी से विजयादशमी तक चल रहा दिव्य महोत्सव, महाष्टमी पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

मुनिकीरेती/ऋषिकेश,(दिलीप शर्मा) 30 सितम्बर : श्री सीतारामदास ओंकारनाथदेव जी द्वारा स्थापित हृषिकेश आश्रम, ऋषिकेश में इस वर्ष भी परंपरा के अनुरूप श्री दुर्गा पूजा महोत्सव का आयोजन बड़े ही भव्य और दिव्य रूप से किया जा रहा है। महापंचमी से प्रारंभ हुआ यह आयोजन विजयादशमी तक निरंतर चलता रहेगा, जिसमें प्रतिदिन विशेष अनुष्ठान और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
महाष्टमी पर हुआ विशेष पूजन
महाष्टमी के पावन अवसर पर आश्रम परिसर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। प्रातःकाल से पूजा-अर्चना का शुभारंभ हुआ और मध्याह्न में महासंधि की विशेष पूजा संपन्न हुई। इस दौरान वातावरण “जय माँ दुर्गा” के जयघोष से गूंज उठा और पूरे परिसर में दिव्यता एवं भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला।
गणमान्य व्यक्तियों की रही उपस्थिति
महोत्सव के इस अवसर पर कई गणमान्य व्यक्तियों ने उपस्थिति दर्ज कराई। इनमें प्रसिद्ध टीवी सीरियल श्रीकृष्णा में भगवान श्रीकृष्ण का जीवंत अभिनय कर चुके अरिदमन बैनर्जी अपनी धर्मपत्नी सहित विशेष आकर्षण का केंद्र रहे।
350 से अधिक श्रद्धालुओं ने ग्रहण किया प्रसाद
महाष्टमी की पूजा-अर्चना के पश्चात मध्याह्न में भव्य भंडारे का आयोजन किया गया। इसमें लगभग 350 श्रद्धालुओं ने श्रद्धाभाव से प्रसाद ग्रहण किया।
आयोजन समिति का सराहनीय योगदान
पूरे आयोजन को सफल बनाने में आयोजन समिति के सदस्य हेमन्त हंस, ऐशिक मित्र, पं.दिलीप चंद शर्मा, पं. चिरंजीत बैनर्जी, पं सनत चटर्जी, पं. प्रणव चटर्जी सहित अन्य सेवाभावी कार्यकर्ताओं का विशेष योगदान रहा।
बंगाल से आए पंडितों ने निभाया दायित्व
पूजा-अनुष्ठान का संपूर्ण दायित्व पश्चिम बंगाल से पधारे विद्वान पंडितों आचार्य बासुदेब मुखोपाध्याय, किंकर गोबिंदोदेब मुखोपाध्याय, पं. लाल कृष्ण, पं वरुण, पं. आयन ने श्रद्धा और विधि-विधान के साथ निभाया। उनके मंत्रोच्चार और अनुष्ठान से पूरे आश्रम का वातावरण भक्तिमय बना रहा।
विजयादशमी तक रहेगा कार्यक्रमों का सिलसिला
आयोजन समिति के अनुसार आगामी दिनों में भी प्रतिदिन विशेष पूजा-अर्चना, सांय कालीन आरती, सांस्कृतिक कार्यक्रम और पश्चिम बंगाल से आये कीर्तन मंडली द्वारा भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाएगा, जो विजयादशमी के साथ सम्पन्न होगा।
👉 यह महोत्सव न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक सद्भाव और सांस्कृतिक समन्वय का भी संदेश दे रहा है।